Sunday, November 29, 2009

मेरा नाम

मेरा नाम मुझे मिल गया है। आप आज के बाद मुझे कृतिका के नाम से पुकार सकते हैं। निकटवर्ती कस्‍बे साहवा के पण्डित श्री डूंगरमल जी सारस्‍वत ने विधि-विधान पूर्वक दिनांक 26 नवम्‍बर, 2009, गुरूवार को नामकरण किया। सच में, मैं बहुत खुश हूं। आप भी खुश हैं ना।

मेरे दादाजी भी खुश हैं-
ध्‍यान से देखो ये मैं ही हूं, मैं यानी कृतिका चौधरी।

3 comments:

  1. तिलक लगा कर हाथ में मौली बाँध कर आखिर हो ही गया नामांकरण... कृतिका को बधाई.

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  2. ...कहते हैं नाम सार्थक होते हैं। मैं इस बात पर भरोसा भी करता हंू। 'कृतिका' हमेशा फले-फूले। ढेर सारी खुशियां अपने जीवन की हर घड़ी में समेट कर लाए। बहुत ही सुंदर नाम के लिए ढेर सारी बधाई। जितना मैं इस नाम को समझ पा रहा हंू, कृतिका बड़ी होकर रचनात्मकता की दिशा में अपना, अपने मम्मी-पापा, दादा-दादी और फिर गांव और जिले का का नाम जरूर रौशन करेगी। बहुत ही सुंदर नाम। कृतिका और कृतिका के पूरे परिवार को ढेर सारी बधाईयां।

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