Wednesday, November 25, 2009

मैं गाव जाउंगी

मुझे आज 23 नवम्बर, 2009 को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है। मैं अपने पैतृक गांव भाड़ंग, तहसील- तारानगर,‍ जिला-चूरू जाउंगी। मैं बहुत खुश हूं। मेरी नानीजी ने मुझे नहलाकर नए कपड़े पहनाएं हैं, और मेरी लक्ष्मी ताईजी को सौंपा है।
अब मैं मेरे पापा, लक्ष्मी ताईजी और मां के साथ गांव जाउंगी। अरे, मैं बताना ही भूल गई। मुझे गांव से लेने मेरे भइया अर्जुन आए हैं। गणेश ताउजी और लक्ष्मी ताईजी के छोटे बेटे। मैं जल्दी ही आपको उनसे भी मिलवाउंगी।
मेरे लिए राजकीय डेडराज भरतिया जनरल अस्पताल, चूरू यादगार रहा।
meri देखभाल यहां एकदम सही की गई। मुझे मेरी मां को डॉ. शरद मिश्रा नियमित देखते रहे, आज भी देखा। वहीं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. इकराम हुसैन नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल चावला ने मुझे दक्षता से देखा और गांव जाने की इजाजत दी।
मैं नर्स उषा दीदी को कैसे भूल सकूंगी, जिन्होंने मेरी मेरी मां को दिन में अनेकों दफा संभाला।
और तो और मैं सफाईकर्मी नारायणी बाई को भी याद रखूंगी, उन्होंने मेरी मां की खूब देखभाल की। मुझे भी उनसे दुलार मिला।


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