जी हां, मैं चूरू जिला मुख्यालय के सबसे बड़े चिकित्सालय राजकीय डेडराज भरतिया अस्पताल में हूं। मेरा अस्थाई निवास है- कोटेज वार्ड नंम्बर-4, मैं यहां मजे से हूं। मेरी सेवा में कोई कमी नहीं है , क्योंकि मेरी ताईजी और नानीजी दोनों 24 घंटें मुश्तैद हैं। मेरी हर एक आहट से वे सचेत हैं। और तो और वे मुझसे तुतलाते हुए बात करने का यत्न भी करने लगी हैं, हालांकि वे जानती हैं कि मैं उनकी तुतलाहट का अभी जवाब नहीं दे पाउंगी, फिर भी यह उनका अपनत्व और हर्ष का मेल है।
मैंने 19 नवम्बर, 2009 को जिंदगी में पहली दफा स्नान किया। गर्म पानी से नानीजी और ताईजी ने मुझे नहलाया। मैं सच में बहुत साफ हो गई हूं, और कुछ ठीक भी लगने लगी हूं, लेकिन मुझे पूरा स्वस्थ दिखने में अभी कुछ समय लगेगा। मैं अभी मां का दूध पूरा पी भी नहीं पाती हूं। लेकिन इतना जरूर है कि मैं उन्हें तंग नहीं करती। मैं गाय का शुद्ध दूध पीती हूं, कभी मां का दूध पीती हूं। और जी भरकर सोती हूं। क्योंकि मैं जानती हूं कि ऐसी चैन की नींद फिर कहां -------------
कृष्णा जी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है। आपका छोटा भाई आपको हमेशा पढऩा चाहेगा। दुलाराम जी बधाई के पात्र हैं।
ReplyDelete