main जिस दिन इस दुनिया में आई थी, उस दिन मेरे नानाजी (श्री होशियारसिंह जाखड़) व बड़े मामाजी (श्री प्रदीप जाखड़) भी आए थे। लेकिन वे मेरे क्षणिक दर्शन कर पाए, क्योंकि मैं उस दिन इतनी व्यवस्थित नहीं हो पाई थी। 23 नवम्बर, 2009 को मेरे अस्थाई निवास कोटेज नं. 4 में मुझे से मिलने फिर से मेरे नानाजी आए। मुझसे ढेरों बातें कीं। नानाजी के साथ मुझसे मिलने मेरी विनोद मौसी भी आई। विनोद मौसी मेरी इकलौती सगी मौसी है।
वहीं मुझसे मिलने मेरी बबीता मामीजी भी अपने गांव से आईं। बबीता मेरी सगी छोटी मामीजी हैं। बबीता मामीजी के साथ उनकी बेटी यानी मेरी दीदी भी थी।
बड़ी मामीजी गायत्री भी बीच में एक दिन मुझसे मिलने आईं थी। प्रदीप मामाजी भी बीच में कई बार मुझे संभालने आ गए थे।
बड़ी मामीजी गायत्री भी बीच में एक दिन मुझसे मिलने आईं थी। प्रदीप मामाजी भी बीच में कई बार मुझे संभालने आ गए थे।
विनोद जीजी, बबिता जी, प्रदीप जी और ताऊ ताई को हमारा भी नमस्ते.
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