ये मैं हूं। मैं यानी कृतिका। मेरे ढेरों नाम है। सब मुझे लाड से अपने-अपने नाम दे रहे हैं। मुझे भी ये नाम भाते हैं। स्नेह और अपनापन किसे नहीं भाता? मेरे दादाजी मुझे तनुजा कहकर स्नेह देते हैं, तो मेरे ताऊजी त्रिवेणी।
Tuesday, December 15, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment