Wednesday, November 18, 2009

बाहरी दुनिया और दूध का स्‍वाद

दूसरे और तीसरे दिन बाहरी दुनिया का वातावरण सहनीय होना स्वाभाविक है। स्पर्श, रोशनी और सर्दी से वास्ता होना तथा मां के दूध का मधुर आस्वादन, कितना आनंदित करते हैं। मां के दूध के साथ-साथ नानी और ताई के हाथों से पिलाया गया दूध तो और भी स्वादिष् लगता है, तभी तो दूध पीते-पीते ही मैं नींद ले लेती हूं और फिर तुरंत जागकर रोते हुए दूध की मांग करने लगती हूं। बिना रोए मुझ अबोली का कौन ध्यान रखें ?







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