आप जानते हैं कि जनसंख्या किस तीव्र गति से बढ़ रही है, और आप यह भी जानते हैं कि लिंगानुपात भी कैसे असंतुलित होता जा रहा है। और शायद आप यह भी जानते होंगे कि इस संसार में बेटे की चाह कितनी बढ़ती जा रही है।
ऐसे हालात चिंतनीय है।मेरे मां-
पापा ने कोई बड़ा काम नहीं किया अगर यह समझा तो। उन्
होंने तो बस लोकधर्म निभाने का संकल्
प ही लिया,
यह सोचकर कि हम सिर्फ एक संतान पैदा करेंगे।पहली संतान की पैदाइश के बाद तुरंत नसबंदी करवा लेगें। मेरे पापा का प्रण था कि नसबंदी पुरूष नसबंदी होगी।
मेरे जन्म के बाद मेरे मां-पापा बहुत ही खुश हुए, क्योंकि उनकी लड़की पैदा होने की ख्वाहिश पूर्ण हुई। पापा तो मां से जिदद भी करते थे कि अगर पहला लड़का हो गया तो यह संकल्प मैं तोड़ूंगा, क्योंकि मुझे लड़की चाहिए और हम एक और अवसर स़ृजित करेंगे। लेकिन मां आश्वस्त थी, कहती थी कि कुछ भी हो लड़की या लड़का, अवसर एक ही होगा।
ऐसी बातों के चलते मैं पहले ही अवसर पर उनके घर आ गई, तो खुशी तो स्वाभाविक है। मुझे भी खुशी है इस घर में आकर, क्योंकि इस घर में नन्हें बच्चों के लगने वाले पोस्टरों में भी कहीं लड़का नहीं है, सभी में लडकियां ही लड़किया हैं।

लेकिन मेरे पापा कुछ मायूस हैं। क्यों ?
वह इसलिए कि उन्हें पता चला है कि पहली संतान के बाद एक साल तक नसबंदी नहीं हो सकती। यह कानून है। यह कैसा कानून ? (कृपया कानून देखने हेतु यहां
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पापा कह रहे हैं कि जब मां-बाप दोनों की इच्छा हो, तो नसबंदी क्यों नहीं। सरकार चाहे तो लिखित सहमति ले सकती है।
और यह भी कि एक साल के दौरान दूसरा बच्चा गर्भ में आता है तो जवाबदेही किसकी ?
और यह भी कि एक तरफ तो सरकार जनसंख्या नियंत्रण के नारे लगा रही है और दूसरी तरफ बाध्य कर रही है कि आपको एक संतान तो हर हालात में रखनी ही होगी। तर्क यह है कि एक साल के बाद बच्चा स्वस्थ हो जाता है और शिशु मृत्यु की संभावना कम हो जाती है। तो यही बाध्यता हुई ना कि आप एक बच्चा तो पैदा कीजिए ही और उसे हर हालात में जिंदा रखिए।
पापा कहते हैं कि जब अटल निर्णय तो फिर स्वीकृति क्यों नहीं। यह भी वे तर्क देते हैं कि पांच संतान हों और एक साथ के सफर में दुर्घटनाग्रस्त होकर माता-पिता को नि:संतान करके चली जाएं तब।
पापा मेरी मां को ये सब बातें मेरे कॉटेज नं. 4 में बता रहे हैं, क्या आपका भी इनसे वास्ता है। अगर हां, तो क्यों नहीं करते पहल ऐसे कानून बदलने की।
ऐसे कानून अभी इसी वक्त बदलने चाहिए।