Sunday, March 21, 2010

आया ना आनंद


जरा पहचानो तो सही
जी हां, यह मैं कृतिका ही हूं बदले रूप में

यह रूप मैंने लोक आस्था के रूप में मान् 'जड़ूला' संस्कार के कारण बदल लिया है। जी हां, आज मेरा जड़ूला अर्पण किया गया है।
आज रविवार था और वह भी चैत्र शुक्‍ल पक्ष का। इसी दिन हमारे परिवार में मान्‍य मालासी खेतरपाल (क्षेत्रपाल) की पूजा-अर्चना और जड़ूला संस्‍कार संपादित किया जाता है।
चूरू में जौहरी सागर के पास 'मालासी खेतरपाल' का मंदिर है। यहीं मेरे पिताजी और पूरे परिवार का जड़ूला उतार गया था अतएव आज सुबह-सुबह मैं नहा-धोकर इसी मंदिर में आशीर्वाद लेने पहुंची। मेरी मां और पापा मेरे साथ थे।
हमने परम्‍परागत रूप से खेतरपालजी की पूजा-अर्चना की।
और फिर जड़ूला संस्‍कार संपादित किया गया। मंदिर में ही उपस्थित नाई जी श्री श्‍यामलाल ने मां-पापा के द्वारा निवेदन करने पर खेतरपालजी के नाम जड़ूला उतरवाया।


श्री खेतरपाल जी के मैं ही नहीं अनेक मेरे जैसे नन्हें-मुन्ने अपने मां-पापा के साथ जड़ूला संस्कार संपादित करवाने आए हुए थे। चारों और मिठाई-चूरमा बांटा जा रहा था। खेतरपाल जी के तेल-बाकल़ा अर्पित किया जा रहा था।

पापा जी को मंदिर प्रांगण में ही चूरू नगर परिषद के पूर्व सभापति श्री मुरलीधर शर्मा मिले। उन्‍होंने श्री मालासी खेतरपाल के विषय में बतलाते हुए जानकारी दी कि उनका परिवार ही इस मंदिर का पुजारी है।

इसके बाद हम हैयर सैलून के यहां पहुंचे, और मेरा रूप इस प्रकार से निखरा-




क्‍यों आपको आया ना आनंद, मुझे नए रूप में देखकर।
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इस शुभ अवसर पर मेरी मां ने मोहल्‍ले में मिठाई के साथ मेरे जन्‍म की खुशी भी बांटी-

मां तो मां ही होती है

6 comments:

  1. कृतिका को आशीर्वाद !!!

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  2. कृतिका ने
    झुड़ला उतराया
    रोडा मोडा
    मन को भाया.
    भर भर थाल
    बांटा कलाकंद
    खाया सबने
    आया आनंद.

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  3. बधाई हो कृतिका...आप तो बहुत सुन्दर हो. हमने भी आपकी मिठाई खा ली.

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    "पाखी की दुनिया" में इस बार पोर्टब्लेयर के खूबसूरत म्यूजियम की सैर

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  4. कृतिका, प्रोफाइल में आपकी उम्र 100 साल क्यों लिखी है..

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  5. Waah! Kritika,same naam!
    aap to bahut hi sweeet hain.
    bahut sara sneh tumhen.
    best wishes Dear.

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