Tuesday, March 16, 2010

अजी, चार महीने के हो गये हैं हम


आज 16 तारीख है और मार्च माह। मेरा जन् 16 नवम्बर को हुआ था, इस हिसाब से मैं आज चार माह की हो गई। पता ही नहीं चला समय कैसे पंख लगाकर निकल गया।

समय इतनी जल्‍दी क्‍यों निकल जाता है ?
आओ चिंतन करें..........




1 comment:

  1. कृतिका के चार माह की होने
    पर एक कविता सस्नेह

    समय निकल जाता है झटपट
    समय कभी नहीं रुकता है.
    थक जाते हैं जीव जगत के
    समय कभी नहीं थकता है.

    समय की इज्जत करना सीखें
    समय बड़ा बलवान है
    जो समझेगा समय की कीमत
    जग में उसकी शान है.

    सर्जन : 23 March, 2010,
    Time 6:40 PM

    http://deendayalsharma.blogspot.com

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