Wednesday, March 3, 2010

होली का हुड़दंग और चूरू आगमन

आपसे नियमित मिलने का सिलसिला मेरे गांव जाने के कारण रूक-सा गया था। मेरा मन भी कुछ उद्वेलित था, खैर। मैं होली का हुड़दंग मचाकर गांव से कल ही चूरू आई हूं। अब आपसे नियमित रू-ब-रू होती रहूंगी।

ऊपर के चित्र में भले ही मैं आपको अंगूठा चूसने का जतन करती दिखाई दूं लेकिन मैं बड़ी होने लगी हूं। देखे मेरा यह चित्र-

अपने-आप सिर उठाना कोई हंसी-खेल नहीं, यह मैंने जाना है। 3 महीने से ज्‍यादा तपस्‍या करनी पड़ी है मुझे, इसके लिए। यह मेरी साधना का ही कमाल है।

और यह सधे पैरों का कमाल है, धीरे-धीरे मैं साधना और करती चलूंगी। आप आशीर्वाद देते रहिएगा।

2 comments:

  1. होली में धामल किया यह तो साफ दिख रहा है.

    ReplyDelete
  2. कृतिका के लिए / दीनदयाल शर्मा

    चलना है ज़िन्दगी,
    रुकना मौत का नाम,
    हँसना है ज़िन्दगी,
    रोना नाम गुलाम,

    कदम कदम बढ़ाये जा,
    हम हैं आपके साथ,
    नाम करो आगे बढ़ो ,
    ले कर हाथ में हाथ .
    09414514666, www.http://deendayalsharma.blogspot.com, deen.taabar@gmail.com

    ReplyDelete