
ये मैं हूं। मैं यानी कृतिका। मेरे ढेरों नाम है। सब मुझे लाड से अपने-अपने नाम दे रहे हैं। मुझे भी ये नाम भाते हैं। स्नेह और अपनापन किसे नहीं भाता? मेरे दादाजी मुझे तनुजा कहकर स्नेह देते हैं, तो मेरे ताऊजी त्रिवेणी।

अभी सहारा, बाद में नहीं

जी, आपको ही देख रही हूं

अरे, ये क्या ?

जरा उधर देखना